38th Carpet Expo - Varanasi

वर्तमान परिप्रेक्ष्य

11 – 14 अक्टूबर, 2019 के मध्य संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में 38वें इंडिया कार्पेट एक्सपो (India Carpet Expo) का आयोजन किया गया।

यह आयोजन कालीन निर्यात संवर्धन परिषद -सीईपीसी (Carpet- Export Promotion Council) द्वारा किया गया।

वाराणसी में होने वाला यह 15वां इंडिया कार्पेट एक्सपो है।

उद्देश्य

भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों एवं फ्लोर कवरिंग की बुनाई के कौशलों को बढ़ावा देना।

विदेश से आने वाले कालीन खरीददारों को बेहतर उत्पाद से परिचित कराना।

प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति की अमूल्य धरोहर को जीवन्त बनाए रखना।

प्रमुख तथ्य

यह एक्सपो वर्ष में दो बार दिल्ली एवं वाराणसी में सीईपीसी द्वारा आयोजित किया जाता है।

इस एक्सपो द्वारा भारतीय कालीन विनिर्माताओं तथा निर्यातकों एवं अंतरराष्ट्रीय खरीददारों, क्रेता घरानों, क्रेता एजेंटो तथा आर्किटेक्ट्स को एक मंच पर लाकर बेहतर व्यावसायिक संबंध स्थापित किया जाता है।

एशिया के विशालतम हस्तनिर्मित कालीन मेलों में एक इस एक्सपो में कालीन खरीदने वालों की आवश्यकतानुसार विभिन्न प्रकार के डिजाइन, रंग, गुणवत्ता एवं आकार की उपलब्धता रहती है।

ज्ञातव्य है कि यह उद्योग भारत के विभिन्न भागों से ऊन, रेशम, जूट, कॉटन, मानव निर्मित फाइबर के साथ विभिन्न प्रकार के कपड़ों के विविध मिश्रण का उपयोग कर आर्थिक लाभ प्रदान करता है।

पर्यावरण के अनुकूल होने से इस उद्योग में निर्माण एवं निर्यात के लिए अपार संभावनाओं को देखते हुए इसे वैश्विक पहचान दिलाने के लिए कार्पेट एक्सपो का आयोजन किया जाता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मूल्य और मात्रा की दृष्टि से भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग का अंतरराष्ट्रीय कालीन बाजार में प्रथम स्थान है, क्योंकि भारत अपने कुल कालीन उत्पादन में से 85-90 प्रतिशत का निर्यात कर देता है।

भारत में प्रमुख कालीन निर्माण केंद्र के रूप में उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, गुजरात सहित लगभग 15 राज्यों का विशिष्ट स्थान है।

भारत विश्व के 70 से अधिक देशों में अपने हस्तनिर्मित कालीनों का निर्यात कर रहा है। इसमें अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन जैसे प्रमुख देश हैं।

गौरतलब है कि हस्तनिर्मित कालीन उद्योग बड़े पैमाने पर श्रमिकों की आवश्यकता वाला उद्योग है, जहां लगभग 20 लाख से ज्यादा कामगारों एवं कारीगरों (विशेषकर महिलाओं) को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराता है

इसके साथ ही इस क्षेत्र में कार्यरत ज्यादातर कारीगर और बुनकर समाज के कमजोर वर्गों से संबंधित हैं तथा यह व्यापार उन्हें अपने घरों से ही अतिरिक्त और वैकल्पिक व्यवसाय करने का अवसर प्रदान करता है।

हस्तनिर्मित कालीनों और फ्लोर कवरिंग्स का निर्यात-

वर्षकुल निर्यात (मि. डॉलर में)कुल निर्यात (करोड़ रु. में)
2015 – 161726.7811299.73
2016 – 171773.9811895.16
2017 – 181711.1711028.05
2018 – 191765.9612364.68

निष्कर्ष

भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों और फ्लोर कवरिंग की बुनाई के कौशल को और बेहतर करने के लिए भारत सरकार, सीईपीसी तथा राज्य सरकार चरणबद्ध तरीके से प्रयासरत है। इंडिया कार्पेट एक्सपो इसी प्रयास का परिणाम है, जिसमें भारतीय व्यापारियों के सहयोग से कुशल और अकुशल श्रमिकों द्वारा तैयार उत्पाद को वैश्विक बाजार में सहज व सरल ढंग से प्रस्तुत कर अधिकाधिक आय प्राप्त किया जाता है।


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